कौन बना राजस्थान में 49 नगर पालिकाओं का प्रथम नागरिक


राजस्थान में मंगलवार को 49 नगर पालिकाओं के लिए हुए चुनाव की मतगणना पूरी हो गई है। जिसमें कांग्रेस ने कुल 28 पालिकाओं में जीत हासिल की है वहीं भाजपा ने 16 पालिकाओं में जीत दर्ज कर ली है। इसके साथ ही तीन जगह निर्दलीय आगे रहे। 2 जगह परिणाम बराबर रहा। जिसमें कांग्रेस ने 961 वार्डों में और भाजपा ने 737 वार्डों में जीत हासिल की है। वहीं बसपा के खाते में 16, माकपा के 3 और एनसीपी के 2 पार्षद विजयी रहे।

वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने अपने उम्मीदवारों को अज्ञात स्थान पर भेज दिया है। जोधपुर, अलवर, नागौर सहित पूरे प्रदेश में पार्षद प्रत्याशियों को होटल, रिजार्ट और फार्म हाउस में ठहराए जाने की सूचना है। इसके साथ ही, प्रत्याशियों के मोबाइल बंद करा दिए हैं। जानकारी के अनुसार निकाय चुनाव के नतीजों के सामने आने के बाद भी कांग्रेस के बोर्ड बनने वाली सीटों के जीते हुए प्रत्याशी बाड़ेबंदी में रहेंगे. सभी जीते हुए प्रत्याशियों को कांग्रेस 26 नवंबर तक यानी जब तक की बोर्ड का सभापति, अध्यक्ष या महापौर नहीं चुन लिया जाता है तब तक एक साथ रखेगी.



  • वहीं, इसके लिए प्रभारी मंत्रियों, संगठन पदाधिकारियों, जिला अध्यक्षों और संबंधित विधायकों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है. यह सभी स्थानीय जीते हुए प्रत्याशियों के साथ मिलकर जीत की रणनीति बनाएंगे. लेकिन, इन सबके बीच एक बात साफ है कि बीते 3 दिन से बाड़ेबंदी में रह रहे प्रत्याशियों को अब जीत के बाद भी बाड़ेबंदी से राहत नहीं मिलेगी. वहीं, जब तक बोर्ड नहीं बन जाता है इन सभी जीते हुए प्रत्याशियों को बाड़ेबंदी में रहना होगा. हालांकि, महिला प्रत्याशियों के साथ उनके परिजनों को रहने की छूट यहाँ पर दी गई है।


वहीँ दूसरी और सूबे की इन निकायों में पार्षद तो आज बन गए है लेकिन मेयर के चुनाव में अभी वक्त है. जनता द्वारा चुने गए पार्षद 26 को मेयर और सभापति चुनेंगे. जबकि 27 को डिप्टी मेयर और उप सभापति चुने जाएंगे. तब तक पार्षद निगरानी में रखे जाएंगे और तब तक उनकी अच्छी आवभगत भी की जाएगी। आपको बता दें कि राजस्थान सरकार ने पहले मेयर और सभापति का चुनाव डायरेक्ट करवाने का मन बनाया था. बाद में यह फैसला लिया गया कि बिना पार्षद बने ही कोई भी मेयर बन सकता है. बस उसके नाम पर पार्षद मुहर लगा दें. लेकिन डिप्टी सीएम सचिन पायलट ही इस पर सहमत नहीं थे. इसलिए सरकार को यह फैसला लेना पड़ा कि जो सदन का सदस्य होगा वही मेयर या सभापति बन सकता है.

वहीँ इन नतीजों में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे भरतपुर नगर निगम, रूपवास, महवा और पिलानी नगरपालिका के हैं, जिनमें निर्दलीयों का ही बोर्ड बनेगा. भरतपुर नगर निगम में कुल 65 सीटें थी, इनमें से कांग्रेस ने 18 और भाजपा ने 22 सीटों पर जीत दर्ज की है. लेकिन भरतपुर नगर निगम में निर्दलीय के तौर पर जीतने वाले प्रत्याशियों की संख्या 25 है. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही निर्दलीयों ने भरतपुर नगर निगम में पछाड़ दिया है. वहीं, भरतपुर जिले के ही रूपवास नगर पालिका जिसमें 25 सीटें थी, इन 25 में से 12 निर्दलीयों ने जीत दर्ज की है. जबकि कांग्रेस के खाते में 6 और भाजपा के खाते में केवल 7 जीत ही आई है.

इसी तरीके से महवा नगर पालिका के 25 सीटों में से 13 पर निर्दलीयों ने जीत दर्ज की है तो वहीं सत्ताधारी दल कांग्रेस के 8 और भाजपा की 4 पर जीत दर्ज हुई है. उधर, पिलानी नगरपालिका वह है जहां पर सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे आए हैं. यहां निर्दलीयों ने 35 में से 31 सीटों पर जीत दर्ज की है. जबकि भाजपा और कांग्रेस के हिस्से में 2-2 सीटें आई है. हालांकि कांग्रेस ने पिलानी से केवल 6 उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा था. इसके अलावा अलवर नगर परिषद में निर्दलीय के सहयोग से ही बोर्ड बनेगा.



  • अलवर में 65 में से 20 सीटों पर कांग्रेस तो 27 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है. लेकिन निर्दलीय जीतने वालों की तादाद भी18 हैं. ऐसे में जिस पार्टी के साथ निर्दलीय चले जाएंगे वह अपना बोर्ड अलवर नगर परिषद में बना लेगी. वहीँ भिवाड़ी नगर परिषद में तो मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच टाई हो गया है. यहां पर कुल 60 सीटों में से कांग्रेस और भाजपा दोनों ने 23-23 सीटों पर जीत दर्ज की है. ऐसे में निर्दलीय के तौर पर जीते 14 प्रत्याशी ही तय करेंगे कि किसकी भिवाड़ी नगर परिषद में सरकार होगी.



श्रीगंगानगर में भी निर्दलीय ही तय करेंगे कि किसका बोर्ड बनेगा. यहां पर भाजपा ने भले ही 24 सीटें जीतकर नंबर एक स्थान लिया हो, लेकिन निर्दलीय भी 22 जीत कर आए हैं. हालांकि कांग्रेस यहां तीसरे स्थान पर रही है, लेकिन उसके भी 19 प्रत्याशी जीते हैं. ऐसे में जिसके साथ निर्दलीय चले जाएंगे उसी का बोर्ड श्रीगंगानगर में बन जाएगा. वहीँ परतापुर गढ़ी नगर पालिका में भी निर्दलीय ही तय करेंगे कि किसके हिस्से में बोर्ड का ताज आएगा. यहां 25 सीटों में से 10 पर कांग्रेस ने तो 11 पर भाजपा ने जीत दर्ज की है. ऐसे में अब जीते हुए 4 निर्दलीय ही तय करेंगे कि किस के सर पर बोर्ड का ताज होगा.

वहीँ पुष्कर नगरपालिका पर एक बार फिर भाजपा ने कब्ज़ा जमा लिया है। यहां भाजपा के 14 पार्षद, कांग्रेस के नौ और दो पार्षद निर्वाचित घोषित किए गए। यहां भाजपा का बोर्ड बनना तय है। वर्तमान नगरपालिका अध्यक्ष कमल पाठक वार्ड चार से चुनाव जीत गए हैं। पुष्कर नगरपालिका के लिए पच्चीस वार्डों पर 73 प्रत्याशियों ने अपना भाग्य अजमाया और अब 26 नवंबर को नगरपालिका अध्यक्ष के लिए चुनाव होना है जिसमें एकबार फिर कमल पाठक की दावेदारी मजबूत दिखाई दे रही है। हालांकि ओमप्रकाश पाराशर भी अपना दावा पेश कर सकते हैं।


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